Maithili Batgawani Song-Pritam Prit Lagaka Jaixi Bidesh Yo, Dharbai Jogin Vesh Yo

बटगवनी

प्रितम प्रित लगाक जाई छी विदेश यो, धरबै जोगीन भेष यो ना
अषाढ एक मास बितल, सावन दुई मास बितल
आरो बितगेल भादब सन दिन यो, धरबै जोगीन भेष यो ना
आशीन आसा लगाओल कार्तीक कँतो नही आयल
अगहन मन करैय जइतौहु नैहर यो, धरबै जोगीन भेष यो ना
पुष सीरक भरायब माघ रघुबरके ओढायब,
फागुन पीया सँगमे खेलबै रँग अबीर यो, धरबै जोगीन भेष यो ना
चैत चित्तो न असथीर, बैशाख तलफल घाम
जेठ मनकरैय जइतौहु पीया सँग यो, धरबै जोगीन भेष यो ना,
धरबै जोगीन भेष यो ना ।।
(२)
नदीया के तिरे तिरे चलु धनी धिरे धिरे
की आहो रामा कौने करनमा पीया मोरा तेजल रे
कि तोरबो मे कंदम पात, लिखवोमे अपने हाथँ
की आहो रामा चीठीया पढैते पीया मोरा आओत रे
कि नय हम बैसक बुढीया, नय हम बाझीन तिरिया
की आहो रामा कोने करनमा पीया मोरा तेजल रे
कि नय हम काजक कोढनी, नय हम भाँगक चोरनी
की आहो रामा कोने करनमा पीया मोरा तेजल रे

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